भगवान परशुराम का जीवन परिचय | Biography of
Lord Parshuram
भगवान परशुराम का जीवन परिचय | Parshuram ka jeevan parichay
भगवान परशुराम का जन्म वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष में तृतीय को हुआ था और इसी दिन को इनकी जयंती तथा अक्षय तृतीया के नाम से भी मनाया जाता है पौराणिक कथाओं के अनुसार ऐसी मान्यता है कि इस दिन किए गए पुण्य कार्य का प्रभाव हमेशा बना रहता है कभी खत्म नहीं होता|
भगवान परशुराम का जन्म और उनका वंश | Birth of Lord Parashurama and his lineage
भगवान परशुराम ऋषि जमदग्नि और रेणुका के सबसे छोटे तथा पांचवी पुत्र थे और यहां विष्णु के छठे अवतार के रूप में अवतरित हुए| पौराणिक कथाओं के अनुसार ऐसा माना जाता है कि इनका जन्म भारती महर्षि भृगु के पुत्र ऋषि जमदग्नि द्वारा संपन्न पुत्श्रेष्ट यज्ञ से प्रसन्न देवराज इंद्र के वरदान के रूप में हुआ था| परशुराम भूमिहार जाति के ब्राह्मण परिवार में जन्मे थे इनके पिता मां पितामह महर्षि भृगु के नामकरण संस्कार की वजह से इनका नाम राम पड़ा|
परशुराम का शाब्दिक अर्थ | Meaning of Parshuram
परशुराम का शाब्दिक अर्थ यह होता है कि परशु का मतलब फरसा और उसी के साथ राम जोड़ने के बाद परशुराम हो जाता है जिसका अर्थ यह निकलता है कि ‘फरसा के साथ राम’| फरसा इनके सभी शस्त्रों में सबसे प्रिय शस्त्र था|
परशुराम की शिक्षा दीक्षा | Parshuram's education initiation -
इनकी शिक्षा दीक्षा महर्षि विश्वामित्र और महर्षि ऋचीक के आश्रम में हुई| ऋषि ऋचीक अपनी शिष्य की योग्यता से इतने प्रसन्न हुए की उन्होंने अपनी सारंग धनुष परशुराम को दे दिया | इनकी प्रतिभा और देवीय गुणों से प्रभावित होकर ऋषि कश्यप ने इनको अविनाशी वैष्णो मंत्र प्रदान किया| भगवान शिव की उन्होंने आराधना की और भगवान शिव ने इनको परशु प्रदान किया| वैसे तो शिव जी के बहुत सारे भक्त हैं लेकिन यह एकमात्र शिव जी के शिष्य बने जिनके ऊपर शिव जी की हमेशा कृपा रही|
परशुराम द्वारा सहस्त्रार्जुन वध | Sahastrarjuna slaughtered by Parashurama-
पौराणिक कथाओं के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि एक बार हैहय वंश के राजा सहस्त्रार्जुन महर्षि जमदग्नि के आश्रम आए थे और इनकी कामधेनु गाय उनको बहुत पसंद आ गई थी| जिसको ले जाने के लिए जमदग्नि से मांगने लगे और महर्षि जमदग्नि द्वारा मना करने पर जबरदस्ती अपने राज भवन उठा ले गया| जब इस बात का पता परशुराम को चला तो उन्होंने सहस्त्रार्जुन का वध कर दिया और कामधेनु गाय को उठा लाए|
ऐसा कहा जाता है जब सहस्त्रार्जुन के पुत्रों को पता चला तो उन्होंने ऋषि जमदग्नि का वध कर दिया| इस घटना के बाद परशुराम की मां रेणुका अपने पति की मृत्यु के बाद चिता पर बैठकर सती हो गई थी| तब परशुराम बहुत क्रोधित हुए और उन्होंने यह प्रतिज्ञा कर ली कि हैहय वंश का वह संपूर्ण विनाश कर देंगे| एक ऐसी भी मान्यता है कि परशुराम ने पिता के शरीर पर 21 घाव को देखकर ही 21 बार हैहय बंशी क्षत्रियों का विनाश किया|
परशुराम जी की माता का वध | Parashuram's mother killed -
परशुराम जी पित्रभक्त थे उनकी इसी पित्रभक्ति की परीक्षा एक बार उनके पिता ऋषि जमदग्नि ने लेने का निश्चय किया| परशुराम अपनी पिता की हर आज्ञा का पालन करते थे उनके लिए पिता की आज्ञा सर्वोपरि थी| एक बार ऋषि जमदग्नि किसी बात को लेकर अपनी पत्नी से नाराज हो गए और उन्होंने परशुराम को यह आदेश दिया कि वह अपनी माता का वध कर दें|
और उन्होंने अपनी माता का वध कर अपने पिता की आज्ञा का पालन किया और इसी पित्रभक्ति से प्रसन्न होकर ऋषि जमदग्नि ने उनसे एक वर मांगने के लिए कहा और उन्होंने अपनी माता को पुनर्जीवित करने का वर मांगा जिसके फलस्वरूप जमदग्नि ने अपने पत्नी को पुनर्जीवित कर दिया|
परशुराम की प्रतिज्ञा | Parshuram Ki Pratigya -
पौराणिक कथाओं के अनुसार महाभारत की कथा में भी इनके प्रतिज्ञा के सार वर्णित है जिनमें से 2 कथाएं बहुत ज्यादा चर्चित है एक भीष्म के साथ युद्ध और दूसरा कर्ण को श्रापित करने का -
- परशुराम ने राजकुमारी अंबा को न्याय दिलवाने के लिए अपने प्रिय शिष्य भीष्म पितामह से 23 दिनों तक भीषण युद्ध लड़े थे जिसका परिणाम कुछ भी नहीं निकला तथा अंबा को न्याय नहीं दिलवा सके| इसके बाद उन्होंने यह प्रतिज्ञा कर ली कि वह किसी भी क्षत्रिय को युद्ध कला की शिक्षा नहीं देंगे|
- दूसरी पौराणिक कथा यह है कि महाभारत में जब उन्होंने कर्ण को अपना शिष्य बनाया तो उसकी वास्तविकता उनको पता होने के बाद उन्होंने कर्ण यह श्राप दे दिया कि उसे जब उनकी शिक्षा की सबसे अधिक जरूरत होगी तो वह शिक्षा काम नहीं करेगी और वह भूल जाएगा|
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